पाकिस्तान डूब रहा है गहरातेे जल संकट में !

WebDesk
Updated: February 2, 2021 12:39
Source: Wilsoncenter.org

Source: Wilsoncenter.org

एस के वर्मा बता रहे हैं प्रत्येक जीवित ईकाई को जीने के लिए जल अनिवार्य शर्त है। परंतु पाकिस्तान में जीवन के इस सर्वप्रमुख स्त्रोत के सम्मुख बड़ा संकट उपस्थित हो चुका है।

पृथ्वी पर जल ही जीवन का आधार है। प्रत्येक जीवित ईकाई को जीने के लिए जल अनिवार्य शर्त है। परंतु पाकिस्तान में जीवन के इस सर्वप्रमुख स्त्रोत के सम्मुख बड़ा संकट उपस्थित हो चुका है। अभी हाल ही में जारी पाकिस्तान मेडिकल एसोसिएशन (पीएमए) की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान के अन्दर आतंकवाद और प्राकृतिक आपदाओं से कहीं अधिक मौतें सुरक्षित पेयजल की अनुपलब्धता के कारण होती हैं। पीएमए की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि बेकार पड़े औद्योगिक कचरे का निपटान, खराब सीवरेज सिस्टम, कृषि अवशिष्ट और अनियोजित शहरीकरण से पाकिस्तान में पानी की गुणवत्ता में भारी गिरावट आ रही है, जो 20 करोड़ से अधिक पाकिस्तानियों को पीने योग्य पानी से वंचित करती है।

इस रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि देश के सामने सबसे महत्वपूर्ण चुनौतियाँ बुनियादी स्वास्थ्य और स्वच्छ, सुरक्षित पेयजल की अनुपलब्धता है । हेपेटाइटिस बी और सी से लेकर कोरोनोवायरस संक्रमण की तुलना में कई गुना अधिक घातक वायरल रोग हैं जो असुरक्षित पेयजल के कारण होते हैं और इसके परिणामस्वरूप पाकिस्तान में प्रतिदिन लगभग 300 से 325 मौतें होती हैं। इस रिपोर्ट में यह अनुमान व्यक्त किया गया है, कि पाकिस्तान में सभी बीमारियों का 30 प्रतिशत और सभी मौतों का 40 प्रतिशत कारण खराब जल गुणवत्ता में निहित है। रिपोर्ट में कहा गया है जलजनित बीमारी डायरिया, पाकिस्तान में शिशुओं और बच्चों में मृत्यु का प्रमुख कारण है, और जहाँ हर पांचवां नागरिक प्रदूषित पानी से होने वाली बीमारी और बीमारी से पीड़ित है। पानी की खराब गुणवत्ता के कारण XDR-टाइफाइड जैसी बीमारी का प्रकोप बढ़ता जा रहा जिसने सिंध में हालात को बदतर कर दिया है|

पाकिस्तान में पानी के लिए दुनिया का चौथा सबसे अधिक खपत का आंकड़ा है, जबकि इसकी जनसंख्या विश्व स्तर पर पांचवीं सबसे बड़ी है। खराब नीतियों और पर्यावरण की दृष्टि से कई नुकसानदायक प्रणालियों जैसे अनुपचारित औद्योगिक और घरेलू कचरे को जल निकायों में प्रवाहित करने और बदलते वर्षा के पैटर्न के कारण पाकिस्तान में पानी की कमी लगातार बढती जा रही है| इस के साथ लगातार तेजी से बढती जनसंख्या और अनियमित शहरीकरण ने देश के जल संसाधनों पर दबाव को बढ़ा दिया है, जहां अब यह हालत है कि पाकिस्तान के सबसे बड़े महानगरों तक में, स्थितियां इतनी ख़राब हो चुकी हैं कि कई बार हफ्तों तक पेयजल की आपूर्ति बाधित रहती है|

पानी की बढती मांग!

पाकिस्तान 22 करोड़ से अधिक की आबादी के साथ से दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा आबादी वाला देश है। 2010 में पाकिस्तान की जनसंख्या 17.94 करोड़ थी। इस गति से ही यदि आबादी बढती रही तो 2025 तक पाकिस्तान की पानी की मांग 274 मिलियन एकड़ फीट तक पहुंच सकती है, जबकि इस समय तक पानी की आपूर्ति 191 मिलियन एकड़ फीट तक ही रह जाने की संभावना है। पाकिस्तान में कृषि, आजीविका का सबसे बड़ा स्त्रोत है, और फसलें पानी पर अत्यधिक निर्भर हैं। पाकिस्तान मुख्य रूप से चावल, गेहूं, कपास और गन्ना उगाता है। ये फसलें सिंचाई की अत्यधिक आवश्यकता वाली हैं, और देश के 95 प्रतिशत पानी के उपयोग के लिए जिम्मेदार हैं। इसके साथ ही साथ पाकिस्तान में खराब जल प्रबंधन से कृषि क्षेत्र के भीतर पानी की बर्बादी लगातार बढ़ रही है। पाकिस्तान में एक अकुशल सिंचाई प्रणाली है जिससे 60 प्रतिशत तक पानी की बर्बादी होती है। पाकिस्तान का बड़ा हिस्सा शुष्क है और यहाँ बारिश की भारी कमी है| पाकिस्तान को अपना पानी हिमालय की बर्फ और ग्लेशियरों के पिघलने से जल प्राप्त करने वाली नदियों के से प्राप्त होता है| एक और जहाँ बढती जनसंख्या के कारण पाकिस्तान भोजन की बढ़ती मांग का सामना कर रहा है, जबकि उसे पानी की आपूर्ति में कमी के कारण उसकी खाद्य सुरक्षा पर भयंकर ख़तरा मंडरा रहा है|

भूत और भविष्य !

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) पाकिस्तान को उन देशों की सूची में तीसरा स्थान देता है जो पानी की कमी से जूझ रहे हैं, जबकि अन्य वैश्विक एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि देश 2025 तक स्थितियां पूरी तरह से चरमरा सकती हैं| वर्तमान में, पाकिस्तान को एक जल-दुर्लभ देश के रूप में वर्गीकृत किया गया है क्योंकि प्रति वर्ष पानी की उपलब्धता 1,000 घन मीटर प्रति व्यक्ति से कम है। पाकिस्तान ने 2005 में इस स्तर को पार कर लिया था। अगर यह स्थिति इसी तरह गिरती रही और 500 घन मीटर तक पहुंच जाता है, तो यह ऐसा देश बन जाएगा जो 2025 तक पानी से पूरी तरह से दुर्लभ हो जाएगा। 2016 में, पाकिस्तान काउंसिल ऑफ़ रिसर्च इन वाटर रिसोर्सेज (PCRWR) ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि पाकिस्तान ने 1990 में “वाटर स्ट्रेस लाइन” को छुआ था और 2005 में “पानी की कमी रेखा” को पार कर गया। यदि यह स्थिति बनी रहती है, तो पाकिस्तान को पानी की तीव्र कमी या सूखे जैसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) और पाकिस्तान काउंसिल ऑफ रिसर्च इन वाटर रिसोर्सेज (PCRWR) की रिपोर्ट ने भी चेतावनी दी है कि 2025 तक पाकिस्तान पूर्ण रूप से पानी की कमी तक पहुंच जाएगा पाकिस्तान वर्ष 2040 तक इस क्षेत्र में सबसे अधिक पानी की कमी वाला देश बनने की राह पर है। पाकिस्तान में, 24 प्रमुख शहरों में रहने वाले 80 प्रतिशत लोगों के पास स्वच्छ पानी तक पहुंच नहीं है। कराची की मलिन बस्तियों में, करीब 1.6 करोड़ लोगों तक सुरक्षित पेयजल की पहुंच नहीं है।

संकट और समाधान !

पाकिस्तान को हर साल लगभग 145 मिलियन एकड़ फीट पानी प्राप्त होता है, लेकिन केवल 13.7 मिलियन एकड़ फीट पानी ही वह बचा पाता है। पाकिस्तान को 40 मिलियन एकड़ फीट पानी की प्रतिवर्ष आवश्यकता होती है, लेकिन 29 मिलियन एकड़ फीट पानी इसलिए बर्बाद हो जाता है क्योंकि इसके लिए आवश्यक बांधों की व्यवस्था पाकिस्तान के पास नहीं है| पाकिस्तान में जल संकट को दूर करने के लिए कुछ उपाय किये गए हैं| 2018 में, पाकिस्तान सरकार ने दो बांधों के निर्माण के लिए 14 बिलियन डॉलर की परियोजना को आगे बढाया, और इसके लिए देश में और दुनिया भर में बसे पाकिस्तानियों से मदद की गुहार की | जैसा कि पूर्व में बताया जा चुका है कि पाकिस्तान पानी के उपयोग के मामले में दुनिया में चौथे स्थान पर है। इसकी वाटर इंटेंसिटी रेट – जो देश के सकल घरेलू उत्पाद की एक इकाई के निर्माण में प्रयुक्त जल की घन मीटर में मात्रा है – जो दुनिया का सबसे अधिक है। इसका अर्थ है कि विश्व में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था सर्वाधिक जल गहन है| और अगर पानी की और अधिक कमी होती है, जो कि स्वाभाविक ही है, पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को गंभीर क्षति पहुँच सकती है|

पानी और क़ानून व्यवस्था!

पानी के कारण अब विश्वयुद्ध जैसी स्थितियों की बात की जाने लगी है| परन्तु पाकिस्तान में ही पानी के कारण कानून और व्यवस्था की स्थिति खतरे में आ गई है| पानी की कमी के चलते समुदायों में टकराव और सशस्त्र संघर्ष भी हो रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जल संकट का आर्थिक प्रभाव अधिक महत्वपूर्ण हैं और है और लोग इन संसाधनों के लिए लड़ रहे हैं। पानी की कमी के कारण एक नया आपराधिक तंत्र पाकिस्तान में विकसित हो गया है जिन्हें जल माफिया कहा जाता है, जो कि लोगों का एक समूह है, जो सार्वजानिक इस्तेमाल के पानी को अपने कब्जे में लेकर इसे ऊंचे दामों पर बेचते हैं। और इस व्यवस्था में निम्न आय और सीमान्त आय वर्ग के लोगों को गंभीर मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है|

1947 में पाकिस्तान के जन्म के समय, देश के लगभग 5 प्रतिशत हिस्से पर वनों का विस्तार था परन्तु अब वे केवल 2 प्रतिशत क्षेत्र पर रह गए हैं। जिसके कारण वर्षा की कमी और भी गहन होने की संभावना है|अब पाकिस्तान का सबसे प्रमुख जल स्त्रोत हिमालय की नदियों के पानी का इस्तेमाल है| परन्तु यह भी विवादों से परे नहीं है| सितम्बर 1960 में डेविड लिलियान्थल की प्रेरणा और यूजीन ब्लैक के प्रयासों से विश्व बैंक ने सिंधु जल संधि (IWT) पर हस्ताक्षर करवाने में सफलता हासिल कर ली| इसके द्वारा पाकिस्तान को इस क्षेत्र की पश्चिमी नदियों – सिंधु, झेलम और चेनाब का उपयोग करने का विशेष अधिकार देता है – जबकि भारत का तीन पूर्वी नदियों पर अधिकार है। परन्तु पाकिस्तान हमेशा इस बात का रोना रोता है कि भारत सरकार आईडब्ल्यूटी के तहत अपनी जिम्मेदारियों को पूरा नहीं कर रही है क्योंकि यह भारत के नए बांधों के निर्माण पर चिंता व्यक्त करती है। जबकि वास्तविकता यह है कि कुल जल संसाधनों का दो तिहाई हिस्सा पाकिस्तान के उपयोग के लिए छोड़ा गया है| यह पाकिस्तान की सरकार का नितांत नाकारापन है कि वह इतने बड़े जल संसाधनों का इस्तेमाल अपनी मूर्खतापूर्ण नीतियों के चलते नहीं कर पा रहे हैं| इस समस्या से निपटने के उपाय करने के बजाय पाकिस्तान के नेताओं का पूरा ध्यान भारत और अपनी पिछली सरकारों को दोषी ठहराने में लगा रहता है| जिनका खमियाजा पाकिस्तान की जनता को भुगतना पड़ता है जो इस पाकिस्तान के आरम्भ से लगातार होता आ रहा है|

(लेखक पाकिस्‍तानी मामलों के विशेषज्ञ हैं । लेख में व्‍यक्‍त विचार उनके अपने हैं ।)

 

 

 

Also Read

Erasing History? Bangladesh’s Path to a Troubled Transition

Explainer: Understanding the growing trend of attacks on Chinese Nationals in Pakistan 

Explainer: Quebec’s quest and struggle for independence from Canada

Explainer: Tracing the Accession of Jammu and Kashmir to India